बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
याक़ूब(अ.स) की औलादें मिस्र में बसती हैं
तौरैत : हिजरत 1:5-12, 22
याक़ूब(अ.स) की सत्तर औलादें मिस्र में आ गयी थीं और यूसुफ़(अ.स) पहले से ही वहाँ मौजूद थे।(5)
बाद में यूसुफ़(अ.स), उनके सारे भाई और उस दौर के सब लोगों का इंतिक़ाल हो गया।(6) इस्राईलियों[a] के बहुत बच्चे थे और उनकी तादाद इतनी ज़्यादा बढ़ गई कि पूरा मिस्र उनसे भर गया।(7) तब एक नया फ़िरौन मिस्र के तख़्त पर बैठा जिसको यूसुफ़(अ.स) के बारे में नहीं पता था।(8) इस फ़िरौन ने अपने लोगों से कहा, “इस्राईलियों को देखो, ये बहुत ज़्यादा हैं।(9) हमें इन लोगों को मज़बूत होने से रोकने के लिए कुछ करना चाहिए। अगर कभी जंग हुई तो हो सकता है कि ये हमारे दुश्मनों से मिल कर हमसे ही लड़ें और मुल्क को छोड़ दें।”(10)
मिस्रियों ने फ़ैसला किया कि वो इस्राईलियों को ग़ुलाम बना कर उनसे सख़्त मेहनत वाला काम करवायेंगे। इन मालिकों ने उनसे ज़बरदस्ती कर के शहर पिथाम और रैमसीस बनवाए, जहाँ पर फ़िरौन अनाज और दूसरी चीज़ें जमा करता था।(11) मिस्रियों ने इस्राईलियों पर जितना ज़्यादा ज़ुल्म किया लेकिन उनकी तादाद उतनी ही ज़्यादा बढ़ने लगी और वो हर तरफ़ फ़ैलने लगे।(12)
फ़िरौन ने अपने लोगों को हुक्म दिया कि अगर कोई इब्रानी[b] औरत किसी लड़की को पैदा करे तो उसे वो ज़िंदा रखे और अगर बच्चा एक लड़का है तो उसको नील नदीं में फेंक दिया जाए।(22)