मेरे रब मुझे बदनामी से बचा (ज़बूर 25)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

मेरे रब मुझे बदनामी से बचा

ज़बूर 25

या अल्लाह, मैं अपने आपको तेरे हवाले करता हूँ।(1)

ए मेरे रब, मैं तुझ पर भरोसा करता हूँ, तू मुझे बदनाम नहीं होने देना।

मेरे दुश्मनों को मुझ पर हंसने का मौक़ा न देना।(2)

जो कोई भी तुझ पर ईमान रखेगा वो कभी बदनाम नहीं होगा।

वही बदनाम होगा जो सिर्फ़ गुनाह करता है और कभी तौबा नहीं करता।(3)

या अल्लाह रब्बुल करीम, मुझे नेक रास्ता दिखा।

मुझे ज़िन्दगी को जीना सिखा।(4)

मुझे अपनी सच्ची हिदायत अता कर, ए मेरे परवरदिगार,

मुझे निजात देने वाले, मैं तेरी हिदायत का इंतज़ार करूँगा।(5)

ए मेरे परवरदिगार, तू अपनी मोहब्बत और करम याद कर।

जो तूने हम पर बहुत पहले ज़ाहिर किया था।(6)

मेरे गुनाहों और ग़लत काम को याद न करना जो मैंने जवानी में किए थे।

लेकिन मुझे प्यार करना हमेशा याद रखना, क्यूँकि तू बेहतरीन है, ए मेरे रब।(7)

या अल्लाह रब्बुल अज़ीम, तू अच्छा और सच्चा है।

तू गुनाहगारों को सच की तरफ़ ले जाता है।(8)

तू उनको ही सही रास्ता दिखाता है, जो सही काम करने पर ग़ुरूर नहीं करते।

तू उनको अपना सीधा रास्ता दिखाता है।(9)

ए मेरे रब, तेरा रास्ता प्यारा और सच्चा है

उनके लिए जो तुझसे किए हुए वादे पर अमल करते हैं।(10)

ए मेरे रब, अपने नाम की ख़ातिर, मेरे गुनाहों को बख़्श दे।(11)

अल्लाह रब्बुल अज़ीम अपनी इबादत करने वाले बन्दों को

बेहतरीन रास्ते पर ले जाएगा।(12)

वो एक बेहतरीन ज़िन्दगी जिएगा और उसके बच्चे ज़मीन के वारिस होंगे।(13)

अल्लाह ताअला अपने राज़ उसे बताएगा जो उसकी इज़्ज़त करते हैं।

वो उन्हें अपने अहद के बारे में बताएगा।(14)

मेरी आँखें हमेशा तुझे मदद के लिए तलाश करती हैं।

तू मुझे हर जाल से बचा लेगा।(15)

मेरी तरफ़ देख और मुझ पर नज़रे करम कर।

मैं अकेला हूँ और बहुत तकलीफ़ में हूँ।(16)

मेरी मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं।

मुझको मेरी मुश्किलों से आज़ाद कर दे।(17)

देख मैं कैसे मुसीबतों में फंसा हुआ हूँ,

तू मेरे सारे गुनाहों को माफ़ कर दे।(18)

देख मेरे दुश्मन कितने ज़्यादा हैं!

और देख वो मुझसे कितनी नफ़रत करते हैं!(19)

मेरी हिफ़ाज़त कर और मुझे बचा ले।

मैं तुझ पर भरोसा करता हूँ, मुझे बदनाम होने से बचा ले।(20)

मैं तुझसे ही उम्मीद रखता हूँ

ताकि नेकी और ईमानदारी मेरी हिफ़ाज़त कर सके।(21)

या अल्लाह, तू मेरे मुल्क को हर मुश्किल से महफ़ूज़ रख।(22)