बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
ख़ैरात, इबादत, और रोज़ा
इंजील : मत्ता 6:1-18
[ईसा(अ.स) ने मौजूद लोगों को ख़ैरात के बारे में बताया। उन्होंने कहा:]
“जब तुम कुछ अच्छा काम करो तो होशियारी से काम लो, उसको दिखावे के लिए लोगों के सामने ना करो। अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम्हें परवरदिगार से कोई सवाब नहीं मिलेगा।(1) इसलिए, जब तुम किसी ज़रूरतमंद की मदद करो, तो उसका ढिंढोरा मत पीटो। तुम उन मुनाफ़िकों की तरह ना हो जाओ जो सिर्फ़ दूसरों की तारीफ़ हासिल करना चाहते हैं। वो लोग अगर इबादतगाह या सड़क पर किसी ज़रूरतमंद की मदद करते हैं, तो ढोल बजा कर ऐलान करवाते हैं ताकि लोग उस मदद को देख लें। मैं तुमको सच्चाई बताता हूँ, कि उन लोगों को इसका कोई सवाब नहीं मिलेगा।(2) तुम जब किसी ग़रीब की मदद करो तो अपने उल्टे हाथ को ख़बर ना लगने दो कि सीधा हाथ क्या कर रहा है।(3) ख़ैरात हमेशा छुपा कर दो। जब परवरदिगार तुमको इस तरह से छुपा कर देते हुए देखेगा, तो तुमको इसका सवाब अता करेगा।(4)
[तब ईसा(अ.स) ने लोगों को इबादत के बारे में बताया और उन्होंने कहा:]
“जब तुम इबादत करो तो पाखंडी लोगों की तरह मत करो। वो इबादतगाह में और सड़क के किनारे खड़े हो कर इबादत करना पसंद करते हैं और तेज़ आवाज़ में दुआ करते हैं। वो चाहते हैं कि लोग उन्हें देखें। मैं तुमको सच्चाई बताता हूँ कि उन लोगों को इसका कोई और सवाब नहीं मिलेगा।(5) तो जब तुम इबादत करना चाहो तो किसी सुकून की जगह पर बंद दरवाज़े में उस रब की इबादत करो। वो उस ख़ास जगह पर तुम्हारे साथ होगा। जब तुम्हारा रब तुमको ऐसी ख़ास जगह पर इबादत करता देखेगा, तो तुमको इसका सवाब अता करेगा।(6)
“और जब तुम इबादत करो, तो फ़ालतू बातों को बार-बार मत दोहराओ जैसे अल्लाह रब्बुल करीम को ना जानने वाले दोहराते हैं। उनको लगता है कि उनकी बात इसलिए सुन ली जाएगी क्यूँकि वो ज़्यादा लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करते हैं।(7) तुम उन लोगों की तरह बिलकुल भी ना करो, क्यूँकि अल्लाह रब्बुल आलमीन तुम्हारे माँगने से पहले जानता है कि तुम्हें क्या चाहिए।(8) तुम इस तरह से दुआ माँगो:
ऐ अल्लाह रब्बुल आलमीन,
लोग तेरे नाम की अज़मत और पाकीज़गी को पहचानें।(9)
तेरी सल्तनत ज़मीन पर छा जाए।
और जन्नत की तरह ज़मीन पर भी बस तेरी मर्ज़ी का ही काम हो।(10)
हमें वो रिज़्क़ दे जिसकी हमें ज़रुरत है,(11)
और हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे,
उसी तरह से जैसे हम उन लोगों को माफ़ करते हैं जो हमारे साथ साज़िश करते हैं।(12)
हमको बहकावे से दूर रख,
[ईसा(अ.स) ने कहा:] “हाँ, अगर तुम लोगों की ग़लतियों को माफ़ कर दोगे, तो अल्लाह रब्बुल अज़ीम भी तुम्हें माफ़ कर देगा।(14) लेकिन अगर तुम दूसरों को माफ़ नहीं करोगे, तो परवरदिगार भी तुमको कभी माफ़ नहीं करेगा।(15)
“जब तुम रोज़ा रखो तो अपने आप को मुनाफ़िकों की तरह कमज़ोर मत ज़ाहिर करो। वो लोग अपने चेहरे को ऐसे बना लेते हैं कि लोग उनको देख कर समझ जाएं कि उनका रोज़ा है। हक़ीक़त ये है कि उन लोगों को इसका कोई सवाब नहीं मिलेगा।(16) जब तुम रोज़ा रखो तो अपने चेहरे को धो लो ताकि तुम अच्छे दिखो।(17) तब अल्लाह ताअला के अलावा किसी को पता नहीं चलेगा कि तुम रोज़े से हो। अल्लाह रब्बुल आलमीन तुम्हारे साथ अकेले में भी है। वो उस अमल का सवाब अता करेगा जो बिना किसी को बताए चुपके से किया गया हो।”(18)