क्या हम ईसा(अ.स) को पहचान पाएंगे? (इंजील : लुक़ास 24:1-53)
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
क्या तुम्हारा रोज़ा क़ुबूल हुआ? (तौरैत : यशायाह 58:1-14)
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
क्या तुम्हारा रोज़ा क़ुबूल हुआ?
तौरैत : यशायाह 58:1-14
[अल्लाह रब्बुल आलमीन का इरशाद है:]
बुलंद आवाज़ में फ़रियाद करो, जिस तरह से बिगुल से आवाज़ निकलती है।
जितना तेज़ हो सके उतना ज़ोर से फ़रियाद करो।
ख़्वाबों की ताबीर (तौरैत : ख़िल्क़त 40:1-23, 41:9, 12-27, 33-40, 46-47, 49, 55-57)
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम