ज़बूर
मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23)
बेहतरीन ज़िंदगी का नुस्ख़ा (ज़बूर 34)
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
बेहतरीन ज़िंदगी का नुस्ख़ा
ज़बूर 34
मैं हमेशा अल्लाह ताअला का शुक्रगुज़ार रहूँगा;
मैं कभी भी उसकी हम्द-ओ-सना करना बंद नहीं करूँगा।(1)
मैं उसकी नेमतों का शुक्रिया अदा करता हूँ;
हिकमत की कहावतें (ज़बूर : कहावतें 3:5-8; 1:7; 29:25; 12:15; 15:32; 18:10; 21:3; 4:23)
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बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम