قُولُوا آمَنَّا بِاللَّهِ وَمَا أُنْزِلَ إِلَيْنَا وَمَا أُنْزِلَ إِلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْمَاعِيلَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ وَالْأَسْبَاطِ وَمَا أُوتِيَ مُوسَىٰ وَعِيسَىٰ وَمَا أُوتِيَ النَّبِيُّونَ مِنْ رَبِّهِمْ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِنْهُمْ وَنَحْنُ لَهُ مُسْلِمُونَ
فَإِنْ آمَنُوا بِمِثْلِ مَا آمَنْتُمْ بِهِ فَقَدِ اهْتَدَوْا ۖ وَإِنْ تَوَلَّوْا فَإِنَّمَا هُمْ فِي شِقَاقٍ ۖ فَسَيَكْفِيكَهُمُ اللَّهُ ۚ وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
صِبْغَةَ اللَّهِ ۖ وَمَنْ أَحْسَنُ مِنَ اللَّهِ صِبْغَةً ۖ وَنَحْنُ لَهُ عَابِدُونَ
آمَنَ الرَّسُولُ بِمَا أُنْزِلَ إِلَيْهِ مِنْ رَبِّهِ وَالْمُؤْمِنُونَ ۚ كُلٌّ آمَنَ بِاللَّهِ وَمَلَائِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِنْ رُسُلِهِ ۚ وَقَالُوا سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۖ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ
قُلْ آمَنَّا بِاللَّهِ وَمَا أُنْزِلَ عَلَيْنَا وَمَا أُنْزِلَ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْمَاعِيلَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ وَالْأَسْبَاطِ وَمَا أُوتِيَ مُوسَىٰ وَعِيسَىٰ وَالنَّبِيُّونَ مِنْ رَبِّهِمْ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِنْهُمْ وَنَحْنُ لَهُ مُسْلِمُونَ
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
किताबों पर ईमान लाए
क़ुरान : अल-बक़रः 2:136-138, 285; आले-इमरान 3:84
[और ऐ मुसलमानों तुम ये] कहो कि हम तो ख़ुदा पर ईमान लाए हैं और उस पर जो हम पर नाज़िल किया गया [क़ुरान] और जो सहीफ़े इब्राहीम व इस्माईल व इस्हाक़ व याक़ूब और औलाद-ए-याक़ूब पर नाज़िल हुए थे [उन पर] और जो किताब मूसा व ईसा को दी गई [उस पर] और जो और पैग़म्बरों को उनके परवरदिगार की तरफ़ से उन्हें दिया गया [उस पर] हम तो उनमें से किसी [एक] में भी तफ़रीक़ नहीं करते और हम तो ख़ुदा ही के फ़रमाबरदार हैं।(136) बस अगर ये लोग भी उसी तरह ईमान लाए हैं जिस तरह तुम तो अलबत्ता राहे रास्त पर आ गये और अगर वो इस तरीक़े से मुँह फेर लें तो बस वो सिर्फ तुम्हारी ही ज़िद पर है तो [ऐ रसूल] उन [के शर] से [बचाने को] तुम्हारे लिए ख़ुदा काफ़ी होगा और वो [सब की हालत] ख़ूब जानता [और] सुनता है।(137)[मुसलमानों से कहो कि] रंग तो ख़ुदा ही का रंग है जिसमें तुम रंगे गए और ख़ुदाई रंग से बेहतर कौन रंग होगा और हम तो उसी की इबादत करते हैं।(138)
हमारे पैग़म्बर [मोहम्मद] जो कुछ उन पर उनके परवरदिगार की तरफ़ से नाज़िल किया गया है उस पर ईमान लाए और उनके [साथ] मोमिनीन भी [सब के] सब ख़ुदा और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों पर ईमान लाए [और कहते हैं कि] हम ख़ुदा के पैग़म्बरों में से किसी में तफ़िरक़ा नहीं करते और कहने लगे “ऐ हमारे परवरदिगार हमने [तेरा इरशाद] सुना।”(285)
आले-इमरान 3:84
[ऐ रसूल उन लोगों से] कह दो कि हम तो ख़ुदा पर ईमान लाए और जो किताब हम पर नाज़िल हुई और जो [सहीफ़े] इब्राहीम और इस्माईल और इस्हाक़ और याक़ूब और औलाद-ए-याक़ूब पर नाज़िल हुए और मूसा और ईसा और दूसरे पैग़म्बरों को जो [जो किताब] उनके परवरदिगार की तरफ़ से इनायत हुई [सब पर ईमान लाए] हम तो उनमें से किसी एक में भी फ़र्क़ नहीं करते।(84)