यूसुफ़(अ.स) का मिस्र का सफ़र (तौरैत : ख़िल्क़त 37:1-11, 18, 21-36)
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
“देखो मेरे ख़ादिम को, जिसकी मैं हिफ़ाज़त करता हूँ।
इसको मैंने चुना है और ये मुझे बहुत ख़ुशी देता है।
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
[अल्लाह रब्बुल आलमीन का इरशाद है:]
बुलंद आवाज़ में फ़रियाद करो, जिस तरह से बिगुल से आवाज़ निकलती है।
जितना तेज़ हो सके उतना ज़ोर से फ़रियाद करो।
बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम