बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
ज़िंदगी का दरिया
इंजील : यूहन्ना 7:37-39
[फ़सह की ईद] का आख़िरी दिन था, जो एक बड़े जश्न और दावत का दिन था। उस दिन ईसा(अ.स) ने, भीड़ के बीच में खड़े हो कर, लोगों से ऊँची आवाज़ में कहा, “अगर कोई प्यासा है, तो वो मेरे पास आए।(37) जैसा कि अल्लाह रब्बुल अज़ीम ने अपने कलाम में कहा: जो मेरे ऊपर ईमान रखेगा, ‘उसके अंदर से ज़िंदगी का दरिया बहेगा।’”(38) ईसा(अ.स) रूहुल-क़ुदुस के बारे में बता रहे थे, कि जो लोग उन पर ईमान रखेंगे, तो उन लोगों को वो हासिल होगी। वो पाक रूह लोगों को उस वक़्त इसलिए नहीं मिली क्यूँकि ईसा(अ.स) को अभी जन्नत में उठाया नहीं गया था।(39)