बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
मेरे रब मुझे बदनामी से बचा
ज़बूर 25
ए मेरे रब, मैं तुझ पर भरोसा करता हूँ, तू मुझे बदनाम नहीं होने देना।
जो कोई भी तुझ पर ईमान रखेगा वो कभी बदनाम नहीं होगा।
वही बदनाम होगा जो सिर्फ़ गुनाह करता है और कभी तौबा नहीं करता।(3)
या अल्लाह रब्बुल करीम, मुझे नेक रास्ता दिखा।
मुझे अपनी सच्ची हिदायत अता कर, ए मेरे परवरदिगार,
ए मेरे परवरदिगार, तू अपनी मोहब्बत और करम याद कर।
मेरे गुनाहों और ग़लत काम को याद न करना जो मैंने जवानी में किए थे।
लेकिन मुझे प्यार करना हमेशा याद रखना, क्यूँकि तू बेहतरीन है, ए मेरे रब।(7)
या अल्लाह रब्बुल अज़ीम, तू अच्छा और सच्चा है।
तू उनको ही सही रास्ता दिखाता है, जो सही काम करने पर ग़ुरूर नहीं करते।
ए मेरे रब, तेरा रास्ता प्यारा और सच्चा है
उनके लिए जो तुझसे किए हुए वादे पर अमल करते हैं।(10)
अल्लाह रब्बुल अज़ीम अपनी इबादत करने वाले बन्दों को
बेहतरीन रास्ते पर ले जाएगा।(12)
वो एक बेहतरीन ज़िन्दगी जिएगा और उसके बच्चे ज़मीन के वारिस होंगे।(13)
अल्लाह ताअला अपने राज़ उसे बताएगा जो उसकी इज़्ज़त करते हैं।
मेरी आँखें हमेशा तुझे मदद के लिए तलाश करती हैं।
मेरी तरफ़ देख और मुझ पर नज़रे करम कर।
मेरी मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं।
देख मैं कैसे मुसीबतों में फंसा हुआ हूँ,
देख मेरे दुश्मन कितने ज़्यादा हैं!
मेरी हिफ़ाज़त कर और मुझे बचा ले।
मैं तुझसे ही उम्मीद रखता हूँ