बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
निजात पाने का तरीक़ा
इंजील : लुक़ास 19:1-10
ईसा(अ.स) अरीख़ा शहर से हो कर गुज़र रहे थे।(1) अरीख़ा शहर में ज़क्काई नाम का एक आदमी रहता था। वो एक बहुत अमीर और ख़ास आदमी था जो टैक्स की वसूली किया करता था।(2) वो देखना चाहता था कि ईसा(अ.स) कौन हैं, मगर छोटे क़द की वजह से भीड़ में उनको देख नहीं पा रहा था।(3) वो दौड़ कर उस जगह पर पहले से पहुंच गया जहाँ से ईसा(अ.स) हो कर गुज़रने वाले थे। वो गूलर के पेड़ पर चढ़ गया ताकि वो ईसा(अ.स) को देख सके।(4)
जब ईसा(अ.स) उस जगह पर पहुंचे, तो उन्होंने ज़क्काई को पेड़ पर चढ़ा देखा। ईसा(अ.स) ने उससे कहा, “ज़क्काई, जल्दी से नीचे आओ! आज मैं तुम्हारे घर में ठहरना चाहता हूँ।”(5)
ज़क्काई जल्दी से नीचे उतर आया। वो ईसा(अ.स) के घर चलने की बात से बहुत ख़ुश हुआ।(6) जब वहाँ जमा लोगों ने ये सब देखा तो वो आपस में बड़बड़ाने लगे, “देखो! ईसा किस तरह के आदमी के घर रुकने जा रहे हैं। ज़क्काई एक गुनाहगार इंसान है!”(7)
ज़क्काई ने ईसा(अ.स) से कहा, “जनाब, मैं अपनी दौलत का आधा हिस्सा ग़रीबों में बाँट दूँगा। अगर मैंने किसी से भी बेईमानी से पैसा वसूल किया है तो मैं उसे चार गुणा ज़्यादा पैसे वापस करूँगा!”(8)
ईसा(अ.स) ने लोगों से कहा, “आज के दिन इसके घरवालों के लिए निजात का दिन है, क्यूँकि इसने ये साबित कर दिया है कि ये इब्राहीम(अ.स) के ख़ानदान में से है।(9) आदमी का बेटा भटके हुए लोगों को ढूँढने और उनको बचाने आया है।”(10)